गुस्सा कैसे शांत करें । इसे पढ़ने के बाद आपको कभी गुस्सा नहीं आएगा !

गुस्सा कैसे शांत करें

गुस्सा कैसे शांत करें

यह कहानी एक 13 साल के बच्चे पीटर की है जिसको बहुत गुस्सा आता था बात बात पर गुस्सा आता था जब भी उसको गुस्सा आता था तो वे यह नहीं देखता था की उसके सामने कौन है और जो भी उसके मन में आता था वह सब बोल दिया करता था। कभी कभी तो वो गुस्से में आकर अपने सामने रखी चीजों को ज़मीन पर फ़ेंक कर तोड़ दिया करता था उसके माँ बाप बहुत परेशान हो गए। उनको समझ नहीं आ रहा था की वह पीटर का गुस्सा कैसे शांत करें ? उन्होंने पीटर को समझाने की बहुत कोशिश करी, अलग-अलग तरीको से उसे समझाया लेकिन वह समझ ही नहीं रहा था।

फिर एक दिन उसकी माँ ने उसकी टूशन टीचर से बात करी उसकी टूशन टीचर ही एक ऐसी थी जिसकी पीटर बात माना करता था उसकी टीचर ने उसकी माँ की सारी बात सुनी और उनको बोला आप चिंता मत करो आने वाले कुछ दिनों के अन्दर पीटर का गुस्सा बिलकुल ख़तम हो जायेगा, उसकी माँ को कुछ भी समझ नही आया फिर भी उन्होंने सोचा की कोशिश करने में क्या जाता है। फिर अगले दिन रोज़ की तरह उसकी टीचर आई क्लास शुरू होने वाली थी तो टीचर ने पीटर से कहा की आज हम पढाई नहीं करेंगे आज हम एक खेल खेलेंगे। पीटर यह सुनकर बहुत खुश हुआ, फिर टीचर पीटर के साथ उस घर के पीछे एक दीवार के पास जाकर खड़ी हो गयी, टीचर ने पीटर से कहा की खेल यह है की जब भी तुम्हे गुस्सा आये तो तुम्हे एक कील लेनी है और इस दीवार पर आकर के गाढ़ देनी है पीटर ने टीचर से पूछा, की इससे क्या होगा! तो इसके जवाब में टीचर ने कहा की जब ये खेल ख़त्म हो जायेगा तो आखीर में तुम्हे एक इनाम मिलेगा, फिर पीटर ने वेसे ही करा जैसे उसकी टीचर ने कहा था जब भी पीटर को गुस्सा आता तो वो एक कील लेता और उस दीवार पर जाकर थोड़ी से गाढ़ दिया करता।

जैसे की पीटर को बहुत ज्यादा गुस्सा आता था तो पहले ही दिन से उस दीवार पर 10 से ज़्यादा कीले गढ़ गयी लेकिन कीले गाढ़ने के लिए उसको बार-बार पीछे जाना पड़ता और फिर उन कीलो को गाढ़ना पड़ता तो उसके दिमाग में आया की जितनी मेहनत में लगाता हु कीलो को गाढ़ने उससे कम मेहनत में मे अपने गुस्से को कंट्रोल कर सकता हु उसने अपने गुस्से को काबू में काबू में करने की भरपूर कोशिश करी अगले दिन 8 कीले गढ़ी उसके अगले दिन 5 कीले गढ़ी उसके अगले दिन 3 कीले गढ़ी उसके अगले दिन 1 कील गढ़ी फिर एक दिन ऐसा आया की उसको पुरे दिन गुस्सा नहीं आया और उस दीवार पर एक भी कील नहीं गढ़ी।

पीटर स्वयं पर बहुत खुश हुआ और ख़ुशी ख़ुशी अपनी टीचर के पास गया और बताया की, मेम मेने आज उस दीवार पर एक भी कील नहीं गाढ़ी है क्यूंकि मुझे आज एक बार भी गुस्सा नहीं आया है तो उसकी टीचर ने उसको थोड़ी सी शाबबाशी दी और उसके साथ में उस दीवार के सामने जाकर खड़ी हो गयी। अब उसकी टीचर ने उससे कहा की खेल अभी ख़तम नहीं हुआ है अब तुम्हे यह करना है की जिस भी दिन तुम्हे बिलकुल भी गुस्सा न आये उस दिन के अखीर में तुमें इस दीवार से एक कील को निकल देना है, पीटर ने वेसा ही करा जिस भी दिन उसको गुस्सा नहीं आता तो वो उस दिन की आखीर में आता और आकर के एक कील को निकाल दिया करता चूँकि कीले बहुत ज्यादा थी तो पीटर को एक महीने से भी ज्यादा का समय लग गया उन सभी कीलो को निकालने में फिर एक दिन ऐसा भी आया उस दीवार पर से सारी कीले निकल गयी।


यह भी पढ़े: How to control anger । You will never be angry after reading this !


पीटर बहुत खुश हुआ और ख़ुशी ख़ुशी अपने टीचर के पास गया और बोला की मेम अब उस दीवार पर एक भी कील नहीं है तो फिर टीचर पीटर के साथ उस दीवार के सामने जाकर खड़ी हो गयी टीचर ने देखा के दीवार पर एक भी कील नहीं है, तो फिर टीचर ने उसको उसकी एक पसंद की चॉकलेट गिफ्ट करी और कहा की पीटर तुम इस खेल को जीत गए हो, पीटर बहुत खुश हुआ फिर टीचर ने पीटर से पूछा की क्या तुम्हे इस दीवार पर कुछ नज़र आ रहा है? तो पीटर ने कहा नहीं मेम दीवार पर तो कुछ भी नहीं है सारी कीले निकल चुकी है ! तो फिर टीचर ने कहा एक बार ध्यान से देखो शायद कुछ नज़र आये पीटर ने दोबारा देखा और कहा की मेम जो कीले मेने गाढ़ी थी मुझे उसके कुछ निशान नज़र आ रहे है जब पीटर ने ये देख लिया तो उसकी टीचर ने उससे कहा की “तुमने दीवार पर कीले गाढ़ी अब तुम उन कीलो को तो निकल सकते हो लेकिन उन नीशानो को नहीं मिटा सकते” ठीक इसी तरह से होता है जब तुम गुस्सा करते हो जब तुम गुस्सा करते हो अपने माँ बाप पर या किसी के भी ऊपर तो उनके दिल पर चोट लगती है उनको दर्द होता है और वहा पर एक निशान रह जाता है, जिसे तुम चाहकर भी हटा नहीं सकते फिर चाहे तुम उनसे जितना मर्ज़ी माफ़ी मांग लो ये सुनकर पीटर को अपनी गलती का अहसास हुआ वो रोने लगा और भागता हुआ अपनी माँ के पास गया और उसने अपनी माँ को गले लगते हुए बोला की मम्मा में आज के बाद कभी गुस्सा नहीं करूगा मुझे समझ आ गया है की मेने क्या गलती करी है और उस दिन के बाद पीटर ने फिर कभी गुस्सा नहीं करा…....!

Qasim Iqbal

"Hello Everyone! This is Mohammad Qasim Iqbal, and I'm thrilled to be a part of the blogging community. As a passionate blogger, I find joy in sharing my thoughts, insights, and experiences through the written word. With each post, I strive to engage, inform, and inspire my readers. Together, let's embark on a journey of knowledge, inspiration, and growth. Thank you for joining me on this exciting blogging adventure!"

Post a Comment

Previous Post Next Post